कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। मंगलवार को लोकसभा में "वन नेशन-वन इलेक्शन" से जुड़ा एक महत्वपूर्ण बिल पेश किया गया था, जिसे बाद में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेज दिया गया। इस बिल का उद्देश्य भारत में एक साथ लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव कराना है, जिससे चुनावी प्रक्रिया को सरल और खर्च में कमी लाई जा सके। हालांकि, इस बिल को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी प्रतिक्रिया हुई है।
विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया कि यह बिल संघीय ढांचे की मूल भावना के खिलाफ है और भारतीय लोकतंत्र की संरचना में हस्तक्षेप करने वाला कदम हो सकता है। कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी ने इस बिल पर अपनी प्रतिक्रिया दी और इसे असंवैधानिक करार दिया। प्रियंका गांधी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "यह बिल संघीय ढांचे के खिलाफ है और हम इसका विरोध करते हैं।" उनका कहना था कि इस तरह का कदम राज्यों की स्वायत्तता और स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है।
सरकार ने इस बिल को लागू करने के लिए विपक्ष के साथ सहमति बनाने की कोशिश की है। इस उद्देश्य के लिए, जेपीसी का गठन किया गया है ताकि विभिन्न राजनीतिक दलों के दृष्टिकोण और चिंताओं पर चर्चा की जा सके। सरकार चाहती है कि इस प्रस्ताव पर एक विस्तृत विचार-विमर्श हो, ताकि सभी पक्षों की आपत्तियों का समाधान किया जा सके और इसे कानून में परिवर्तित किया जा सके। यह बिल, यदि लागू होता है, तो भारत में चुनावी प्रणाली में बड़ा बदलाव ला सकता है, जिसमें राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर एक साथ चुनाव होंगे, जिससे चुनावी खर्चों में कमी आएगी और प्रशासनिक खर्चों को भी कम किया जा सकेगा। लेकिन इस प्रस्ताव के समर्थक और विरोधी दोनों ही इस पर अलग-अलग दृष्टिकोण रखते हैं।