कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।
इतिहास के पन्नों में 13 जुलाई की तारीख एक मनहूस याद के तौर पर दर्ज है। वर्ष 2011 में इसी दिन देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को आतंक के साए ने एक बार फिर दहला दिया था। झावेरी बाजार, ओपेरा हाउस और दादर जैसे व्यस्त इलाकों में शाम के समय हुए तीन सिलसिलेवार बम धमाकों ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इन धमाकों में 26 लोगों की जान चली गई और 130 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
धमाकों का क्रम और समय:
पहला धमाका – शाम 6:54 बजे झावेरी बाजार की खाऊ गली में खड़ी एक मोटरसाइकिल में छिपाकर लगाए गए बम से हुआ।
दूसरा धमाका – कुछ मिनटों बाद ओपेरा हाउस में प्रसाद चैंबर और पंचरत्न बिल्डिंग के पास एक टिफिन बॉक्स में रखे बम से विस्फोट हुआ।
तीसरा धमाका – करीब 7:05 बजे, दादर के कबूतर खाना इलाके में एक बिजली के खंभे पर लटकाए गए बम से हुआ धमाका।
तीनों धमाके इतने करीब समय में हुए कि पुलिस और राहत एजेंसियों को संभलने का मौका ही नहीं मिला। इस हमले की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिद्दीन पर आ गई। जांच एजेंसियों ने हमले का मास्टरमाइंड यासीन भटकल को चिह्नित किया, जो इंडियन मुजाहिद्दीन का संस्थापक सदस्य था। 28 अगस्त 2013 को नेपाल सीमा से उसे गिरफ्तार किया गया। बाद में इस मामले में मुकदमा चला और यासीन भटकल को फांसी की सज़ा सुनाई गई। मुंबई इससे पहले भी आतंकवादी हमलों का निशाना बन चुकी थी, लेकिन 13 जुलाई 2011 की घटना ने एक बार फिर इस शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए। शाम के व्यस्ततम समय में हुए इन धमाकों ने न केवल आमजन के मन में डर बैठा दिया, बल्कि देश भर में आक्रोश की लहर दौड़ा दी। यह हमला एक बार फिर यह साबित कर गया कि आतंकवादी देश के भीतर अस्थिरता फैलाने की फिराक में लगातार सक्रिय हैं।